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vachya aur vachy ke bhed

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वाच्य और वाच्य के भेद :

परीक्षाओं में व्याकरण बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक है और आज हम हिंदी व्याकरण के अंतर्गत वाच्य का अर्थ (Vachya Ka Arth) ,वाच्य के भेद (Vachya Ke Bhed) विस्तार से पढेंगे । जो तैयारी में आपकी बहुत मदद करेगा और आप वाच्य से सम्बंधित विभिन्न प्रश्नों को आसानी से हल कर पाएंगे।

वाच्य का शाब्दिक अर्थ है – बोलने का विषय | वाक्य द्वारा यह ज्ञात होता है कि क्रिया, कर्म, कर्ता या भाव के अनुरूप है | यह क्रिया के विकार तत्व कहलाते है |


वाच्य – परिभाषा :

क्रिया का वह रूप जिससे पता चलता है कि वाक्य में कर्ता, कर्म या भाव में से किसकी प्रधानता है , वाच्य कहलाता है |

उदाहरण :

– सौरभ पत्र लिखता है |
– सौरभ द्वारा पत्र लिखा जाता है |
– सौरभ से पत्र लिखाया जाता है |

वाच्य के भेद

वाच्य के तीन भेद होते है –

  1. कर्तृवाच्य
  2. कर्मवाच्य
  3. भाववाच्य


1. कर्तृवाच्य :–

जिस वाक्य में कर्ता प्रधान होता है और जहां क्रिया पद के लिंग और वचन के अनुसार हो, उसे कर्तृवाच्य कहते है।

उदाहरण :

सुरेश चित्र बनाता है |
लड़किया बाजार जा रही है।
मै रामायण पढ़ रही है।
कुमकुम खाना खाकर सो गई।

उपर्युक्त वाक्य में सुरेश, लड़किया, मै, और कुमकुम कर्ता है तथा इनकी क्रियाये क्रमशः बनाता है, जा रही है, पढ़ रहा हूँ, सो गई


विशेष :

– कर्तृवाच्य में कर्ता कारक होता है |
– कर्तृवाच्य में सकर्मक और अकर्मक क्रिया दोनों हो सकती है |

2. कर्मवाच्य :–

जहां क्रिया का सीधा संबंध कर्म से होता है तथा जहां क्रिया पद लिंग और वचन के अनुसार होते है, वहां कर्मवाच्य होता है |
कर्मवाच्य में कर्म प्रधान होता है |

उदाहरण :
माली द्वारा पौधे लगाए गए |
राम द्वारा पतंग उड़ाई जाती है |
बच्चों द्वारा क्रिकेट खेला जाता है |

उपर्युक्त वाक्यों में पौधे, क्रिकेट, पतंग आदि कर्म तथा इनमे क्रिया के रूप में भी कर्म के लिंग एवं वचन के अनुसार परिवर्तन हुए है, अतः सभी कर्मवाच्य के उदाहरण है |


विशेष :

– कर्मवाच्य में कर्ता के महत्व को कम करने के लिए से , के द्वारा का प्रयोग होता है |
– कर्मवाच्य केवल सकर्मक क्रिया से बनता है, क्योकि यह कर्म प्रधान है |



3. भाववाच्य :–

जहां क्रिया पद पर कर्ता और कर्म के लिंग और वचन का कोई प्रभाव नहीं होता वहा भाववाच्य होता है |

उदाहरण :
हमसे वहाँ नहीं ठहरा जाता।
सीता से गाया नहीं जाता |
उससे आगे क्यों नहीं पढ़ा जाता। ‘
मुझसे शोर में नहीं सोया जाता।

उपर्युक्त वाक्य में अकर्मक क्रिया है तथा भाव की प्रधानता है तथा यह भाववाच्य के उदाहरण है |


विशेष :

– भाववाचक का प्रयोग असमर्थता प्रकट करने के किये किया जाता है |
– भाववाच्य में क्रिया सदैव पुर्लिंग, एकवचन तथा अकर्मक होती है |





परीक्षाओं में वाच्य से संबंधित पूछे जाने वाले प्रश्न :

प्रश्न : दिये गए वाक्य को कर्मवाच्य में परिवर्तित करो – जुगल ने बच्चो को पढ़ाया है |
उत्तर : जुगल के द्वारा बच्चो को पढ़ाया गया |

प्रश्न : दिये गए वाक्य को भाववाच्य में परिवर्तित करो –
घर से विदा होते समय सीता नहीं रोई
उत्तर : घर से विदा होते समय सीता से रोया नहीं गया |


प्रश्न : दिये गए वाक्य को कर्तृवाच्य में परिवर्तित करो –
राम द्वारा संध्या- बंदन किया गया |
उत्तर : राम ने संध्या- बंदन किया |

प्रश्न : दिये गए वाक्य को कर्तृवाच्य में परिवर्तित करो –
उससे साफ-साफ नहीं लिखा जाता |
उत्तर : उससे साफ-साफ नहीं लिखा गया |

प्रश्न : दिये गए वाक्य में कौन सा वाच्य है |
अब पानी पिया जाये |
उत्तर : भाववाच्य

प्रश्न : दिये गए वाक्य को कर्मवाच्य में परिवर्तित करो –
शिक्षक पढ़ा रहे है |
उत्तर : शिक्षक द्वारा पढ़ाया जायेगा |

प्रश्न : दिये गए वाक्य में कौन सा वाच्य है |
फिर कभी देखा जायेगा |
उत्तर : भाववाच्य

प्रश्न : कर्मवाच्य का उदाहरण लिखिए |
उत्तर : राम के द्वारा बच्चो को पढ़ाया गया |


प्रश्न : वाच्य कितने प्रकार के होते है |
उत्तर : तीन (कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य, भाववाच्य)

प्रश्न : कर्तृवाच्य में किसकी प्रधानता होती है |
उत्तर : कर्ता

प्रश्न : कर्म की प्रधानता वाला वाच्य होता है |
उत्तर : कर्मवाच्य






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